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Monday, 9 November 2015

जानिए दिवाली की सफाई कैसे बना सकती है आपको करोड़पति, न करें इग्नोर.

जानिए दिवाली की सफाई कैसे बना सकती है आपको करोड़पति, न करें इग्नोर

 दिवाली के साथ घरों में सफाई के साथ पुराने सामान को लेकर चिंता खड़ी हो जाती है। अक्सर लोग इस सामान को कबाड़ के भाव बेच देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कबाड़ी के हाथों में पहुंचा समान वास्तव में लाखों रुपए का होता है। इसका पता तब चलता है जब किसी एक्सपर्ट के हाथ में ये सामान पड़ता है और वो इसकी असल कीमत का खुलासा करता है।
ऐसे में आपको अपने पास रखे हर सामान की  न केवल जानकारी होनी चाहिए, बल्कि आपको उसकी कीमत का पता लगाना भी जरूरी है। जानिए कबाड़ में रखे कौन से से आइटम वास्तव में कीमती होते हैं और आपको लाखों दे सकते हैं।

किताबें
दिवाली की सफाई में सबसे ज्यादा मुश्किल किताबों को लेकर होती है। लेकिन याद रखिए अगर कोई किताब खास है तो उसकी कीमत हर हाल में उसके प्रिंट पर छपी कीमत की कई गुना होगी। भले ही आप अनजाने में कुछ रुपए प्रति किलो के हिसाब से उसे बेचने की सोच रहे हैं।

 नवंबर 2014 में आई फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे महंगी किताब की मौजूदा कीमत करीब 5 करोड़ डॉलर है। वहीं टॉप 10 किताबों में सबसे सस्ती किताब 80 लाख डॉलर की है। यकीन मानिए इनमें से कुछ किताबें पुरानी अलमारी, पुराने घर की सफाई के दौरान मिलीं थी।

जानिए आपके किताबों के खजाने में किन किताबों को मिल सकती है ऊंची कीमत

अगर किताबें रेयर हैं, यानी किताब की दूसरी कॉपी मार्केट में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।
ऐसी किताब जिसे किसी भी तरह से खास साबित किया जा सके। एंटीक एक्सपर्ट के मुताबिक कलेक्टर कीमत चुकाने के लिए वजह की तलाश करते हैं। ये वजह कुछ भी हो सकती है, जिसमें किताब की उम्र, उस पर किसी के साइन, उनका टॉपिक, उनके प्रजेंटशन का ढंग।

अगर किताब में किसी के हस्ताक्षर हों तो इससे कीमतें या तो काफी बढ़ती हैं या काफी घट जाती हैं। साइन करने वाला शख्स खास है या फिर आप उसे किसी खास कहानी से जोड़ सकते हैं तो किताब की कीमत कई गुना हो जाती है।

बिबिलियो डॉट कॉम जैसी कई वेबसाइट है जहां आप जाकर किताबों की वैल्यू जान सकते हैं। वहीं सभी बड़े शहरों में पुरानी किताबों के कारोबारी हैं जो आपकी किताबों को अच्छी कीमत दे सकते हैं।
जानिए दिवाली की सफाई कैसे बना सकती है आपको करोड़पति, न करें इग्नोर

गुजरे जमाने के डिजाइन वाले आर्ट वर्क
1930 के दौर में एक अंग्रेज सिपाही जेड ने चीन में एक पुराना बर्तन 100 डॉलर से कम कीमत में खरीदा था। फिलहाल जेड बाउल नाम से फेमस इस बाउल की कीमत 10 लाख डॉलर है।

घर की सफाई के दौरान कई बार ऐसे आइटम मिलते हैं जिन्हें आपके बड़े बुजुर्गों ने अपने दौर में खरीदा था। इसमें आर्टफैक्ट से लेकर ब्रांडेड पेन, पुराने दौर की रोजमर्रा की जरूरत की चीजें शामिल हैं। एंटीक एक्सपर्ट के मुताबिक फैशन अपने आपको रिपीट करता है। ऐसे में समय-समय पर खरीददार ऐसे आर्ट वर्क की तलाश करते रहते हैं। ओएलएक्स जैसी साइट्स पर ऐसे प्रोडक्ट लगातार बिक्री के लिए उपलब्ध रहते हैं। जिनकी आपको अच्छी कीमत मिल सकती है।

जानिए कौन सा सामान आपके लिए हो सकता हैं कीमती
ऐसे सामान जिनमें टूट फूट न हो।
ऐसे सामान जिन्हें रिस्टोर न कराया गया हो, यानी वो ओरिजनल हों
अगर सामान के साथ कोई ब्रॉन्ड या नाम जुड़ा है तो कीमत कई गुना हो सकती है।
अगर आप अपने एंटीक में किए गए आर्ट वर्क को क्लासिफाइड कर सकें जैसे किसी खास शैली, खास समय या किसी अंदाज या एक्सपेरीमेंट। इससे आपको अपने सामान को एंटीक में बदलने में मदद मिलेगी।
अगर कोई सामान एक सेट में मिलता है तो सेट का पूरा होना जरूरी है।



जानिए दिवाली की सफाई कैसे बना सकती है आपको करोड़पति, न करें इग्नोर

 एंटीक उपकरण
घड़ी, रेडियो, कैल्कुलेटर, फोन,  जैसे उपकरणों का अपना इतिहास है। इनसे जुड़ी कंपनियां सालों से अपने उपकरण बना रही हैं। और हर साल अपने पुराने ब्रैंड को मार्केट से हटा लेती हैं। वहीं कुछ कंपनियां बंद हो जाती है या ये उपकरण ही चलन से बाहर हो जाते हैं। इस्तेमाल खत्म होने से धीरे धीरे ये रेयर कैटेगरी में आ जाते हैं।
अगर आपके पास ऐसा कोई गैजेट है जो गैजेट की किसी सीरीज या टेक्निक के शुरुआती दौर का है और अब भी सही हालत में है। शायद जिसे आपके दादा या परदादा ने खरीदा था तो हो सकता है कि वो आपके लिए एक बड़ी लॉटरी छोड़ गए हों।
ऐसे प्रोडक्ट की काफी कीमत होती है। यहां तक कि आज के दौर में भी लोग दस या बीस साल पुराने किसी प्रोडक्ट को सहेज कर रख रहे हैं जिससे बीस या तीस साल में उसकी शानदार कीमत मिल सके।

कौन से एंटीक उपकरण होते हैं कीमती
ऐसे प्रोडक्ट का सही हालत में होना जरूरी है। भले ही तकनीक बदलने से उसका इस्तेमाल संभव न हो।
प्रोडक्ट ओरिजनल हो और उसे रिस्टोर न कराया गया हो।
प्रोडक्ट के साथ अगर उस दौर का यूजर मैन्युल मौजूद हैं तो कीमतें कई गुना बढ़ जाती हैं क्योंकि इससे साबित होता है प्रोडक्ट न केवल ओरिजनल है साथ ही पूरे प्रोडक्ट की गंभीरता के साथ केयर की गई है।
हालांकि प्रोडक्ट अगर इन सब शर्तों पर खरा नहीं उतरता तो भी आपको बेहतर कीमत तो मिल ही सकती है।
जानिए दिवाली की सफाई कैसे बना सकती है आपको करोड़पति, न करें इग्नोर

मशीनों, कारों के रेयर पार्ट
अगर आपके पास कोई मशीन या उपकरण हैं लेकिन वो खराब हो चुका है तो भी आपको निराश होने की जरूरत नहीं हैं। इन मशीनों के पार्ट्स भी बिक सकते हैं। हालांकि इसके लिए समय और मेहनत दोनों लग सकती है। उदाहरण के लिए अगर आपके पास कोई खराब कार है जिसका प्रोडक्शन काफी पहले बंद हो चुका है, लेकिन एंटीक मार्केट में उसकी कीमत है। तो यकीन मानिए उसके पार्ट बहुत कीमती हैं।
आपको बता दें कि कलेक्टर ऐसे सामान पर कई गुना खर्च करते हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता हो। ऐसे में पार्टस की जरूरत खरीददार और विक्रेता दोनों को होती है। हालांकि इसका मार्केट सीमित है। पहले आपको अपनी प्रोडक्ट के काम करने वाले उपकरणों को अलग करना होगा। जिसके बाद इंटरनेट के जरिए उनके लिए मार्केट तलाशना होगा अगर मार्केट मौजूद है तब आप इन पार्टस को यूनीक आइटम की तरह बेच सकते हैं।

कौन से पार्ट्स हो सकते हैं कीमती
पार्टस जिस मशीन, कार, उपकरण में यूज किए जाते हैं उस मशीन की डिमांड हो लेकिन उसके पार्ट्स का प्रोडक्शन बंद हो।
पार्ट्स ऐसे हों जिसे दूसरी मशीन में इस्तेमाल किया जा सके।
पार्ट्स ओरिजनल हो क्योंकि कोई भी कलेक्टर अपनी मशीन में डुप्लीकेट पार्ट्स लगाकर उसकी कीमतें गिराना नहीं चाहेगा।



Source - money bhaskar

Sunday, 8 November 2015

अमीर बनने के लि‍ए जरूरी हैं ये 9 आदतें, आम लोगों की सोच से है अलग.

money

दुनि‍या के बड़े अरबपतियों को देखकर हर व्‍यक्‍ति‍ उस मुकाम पर पहुंचने का सपना देखता है। अपने पैसे का इस्‍तेमाल कैसे कि‍या जाए और जीवन में आगे कैसे बढ़ा जाए यही बात और सोच एक अरबपति‍ को एक औसत कमाई वाले व्‍यक्‍ति‍ से अलग कर देती है। कहा यह भी जाता है कि‍ आज क्‍या है कर रहे हैं यही सबसे अहम बात है।
‘रि‍च हैबि‍ट: द डेली सक्‍सेस ऑफ वेल्‍थी इंडि‍वि‍जि‍अल’ कि‍ताब के लेखक थॉमक कोरले ने बताया कि‍ हर रोज की सोच अमीरों को दूसरों से कैसे अलग करती है। कोरले ने अमीर व्‍यक्‍ति‍यों (16 लाख डॉलर और उससे ज्‍यादा की सालाना आय) और गरीब लोगों (35 हजार डॉलर और उससे कम की सालाना आय) दोनों के जीवन पर 5 साल तक अध्‍ययन कि‍या है। आज हम आपको उन बातों के बारे में बता रहा है जि‍ससे अमीरों और आम लोगों की सोच का फर्क नजर आता है। कोरले ने ‘रि‍च हैबि‍ट’ और ‘पॉवर्टी हैबि‍ट’ नाम से दो सेगमेंट बांट दि‍ए हैं।

क्‍या है अमीरों की आदतें जो डालती हैं सबसे ज्‍यादा प्रभाव 
अमीर व्‍यक्‍ति‍ हमेशा अपने लक्ष्‍य पर रखते हैं नजर
‘मैं अपने लक्ष्‍य पर हर रोज फोकस करता हूं।’
62 फीसदी अमीरों ने मानी बात
6 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह जानते हैं कि‍ उन्हें आज क्‍या करना चाहि‍ए
‘मैं अपने रोजाना काम की लि‍स्‍ट तैयार रखता हूं।’
81 फीसदी अमीरों ने मानी बात
19 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह टीवी नहीं देखते 
‘मैं प्रति‍दि‍न एक घंटे या उससे कम टीवी देखता हूं।’
67 फीसदी अमीरों ने मानी बात
23 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह पढ़ते हैं…लेकि‍न मजे के लि‍ए नहीं 
मुझे पढ़ना पसंद है
86 फीसदी अमीरों ने मानी बात
26 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह ऑडि‍यो बुक सुनते हैं 
‘काम करते समय मैं ऑडि‍यो बुक सुनता हूं।’
63 फीसदी अमीरों ने मानी बात
5 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह ऑफि‍स में अपने स्‍तर से ज्‍यादा काम करते हैं 
‘मैं अपनी नौकरी से ज्‍यादा काम करता हूं।’
81 फीसदी अमीरों ने मानी बात
17 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह अपनी कमर को देखते हैं
‘मैं हर रोज अपनी कैलोरी चेक करता हूं।’
57 फीसदी अमीरों ने मानी बात
5 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह जैकपॉट जीतने की उम्‍मीद नहीं करते
‘मैं रोज लॉटरी खेलता हूं।’
6 फीसदी अमीरों ने मानी बात
73 फीसदी गरीबों ने मानी बात
वह अपनी मुस्‍कान का ध्‍यान रखते हैं
‘मैं रोज मुस्‍कुराता हूं’
62 फीसदी अमीरों ने मानी बात
16 फीसदी गरीबों ने मानी बात

Saturday, 7 November 2015

ये हैं ‘मास्टर’ बिजनेसमैन, खेलने की उम्र में खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी.



ये हैं ‘मास्टर’ बिजनेसमैन, खेलने की उम्र में खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी



 खेलने की उम्र और करोड़ों की कंपनी के मालिक। जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। भारत में ऐसे कई ‘मास्टर’ बच्चे हैं, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में ही खुद का बिजनेस शुरू कर दिया और आज बॉस बने हुए हैं। ये आंत्रप्रन्योर छोटे भले ही हों, लेकिन फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और गूगल के दिग्गज तक इनका लोहा मान चुके हैं। हम आपको बता रहे हैं, ऐसे ही पांच आंत्रप्रन्योर के बारे में, जिनकी उम्र कम होने के चलते कंपनी भी इनके नाम पर रजिस्टर्ड नहीं हो सकी, लेकिन कारोबार की दुनिया में यह अपने क्रिएटिव आइडिया के कारण छाए हुए हैं।

श्रवण कुमारन और संजय कुमारन
14 साल के श्रवण और 12 साल के संजय भारत से सबसे छोटे उद्यमी हैं। दोनों चेन्नई के रहने वाले हैं। दोनों ने मिलकर वर्ष 2011 में ‘गो डाइमेंशन्स’ ऐप लॉन्च किया था। दोनों ही ऐप बनाने में माहिर हैं। अब तक ये दोनों 11 ऐप डेवलप कर चुके हैं। इनकी एप्लिकेशन एप्पल प्ले स्टोर और गूगल प्ले स्टोर दोनों पर मौजूद हैं। इस ऐप के करीब 35 हजार से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। अपनी प्रतिभा के कारण दोनों आईआईएम-बेंगलुरु और टेडेक्ट कॉन्फ्रेंस में प्रजेंटेशन दे चुके हैं। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी दोनों से मिल चुके हैं। श्रवण कंपनी के प्रेसिडेंट, जबकि संजय सीईओ हैं। दोनों की उम्र कम है, इसलिए भारतीय कानून के मुताबिक इनकी कंपनी परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर रजिस्टर्ड है।

किंग सिद्धार्थ
ये एक ऐसा नाम है, जिसने युवाओं के लिए मिसाल कायम की है। 11 साल की उम्र में ही सिद्धार्थ ने क्रिएटिव राइटिंग शुरू कर दी थी। 10वीं कक्षा में पढ़ते हुए सिद्धार्थ ने ऑनलाइन मैगजीन  शुरू की थी। यह बहुत फेमस हुई। इसके बाद उन्होंने फिल्म मेकिंग में इंटरेस्ट दिखाया और कई शॉर्ट वीडियो तैयार कीं। 2010 में सिद्धार्थ दुनिया के 25 यंग उद्यमियों में शामिल हुए। 19 साल के सिद्धार्थ अब टीन्स के बीच छोटे कॉम्पिटीशन ऑर्गेनाइज करते हैं। इन्हें ‘Createens’ कहते हैं। इसके जरिए यंग स्टूडेंट्स को ब्लॉगिंग और एंटरप्रेन्योर बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। सिद्धार्थ स्प्रिचुएलिटी और साइंस पर एक किताब भी लिख चुके हैं

अर्जुन राय
सात साल की उम्र में ही अर्जुन की प्रतिभा सबके सामने आ गई। उन्होंने एक गैराज में सेल्स का काम किया और घर के बाहर स्टफ बेचना शुरू किया। इससे भी बात नहीं बनी तो फूल बेचने शुरू कर दिए। इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन कंपनी शुरू की, जो विज्ञापन के लिए काम करती थी। फिलहाल अर्जुन 'canvas.co' के फाउंडर और सीईओ हैं। कंपनी क्रिएटिव ऐड के लिए काम करती है।

फरहाद एसिडवाला
पुणे महाराष्ट्र में जन्मे फरहाद एसिडवाला 21 साल के हैं। 12 साल की उम्र में ही उन्होंने इंटरनेट बिजनेस शुरू कर दिया था। साल 2009 में उन्होंने ‘Rockstah Media’ कंपनी बनाई। यह कंपनी वेब डेवलपिंग में काम करती है। इसके लिए फरहाद ने अपने पिता से 500 रुपए उधार लेकर डोमेन खरीदा था। आज वह इस कंपनी के सीईओ हैं। फरहाद की कामयाबी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साल के भीतर ही उनकी डेवलपर, मार्केटर्स और डिजाइनर्स की टीम विभिन्न देशों में फैली है।

अंकुर जैन
अंकुर को यह प्रतिभा विरासत में मिली है। इन्फोस्पेस के फाउंडर नवीन जैन के बेटे अंकुर ने सात साल की उम्र में अपना वेंटर स्टरनियम शुरू किया था। अंकुर अभी अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ मिलकर ‘Kairos society’ नाम की कंपनी चला रहे हैं, जो ग्रैजुएट और अंडर ग्रैजुएट लोगों को खुद का बिजनेस शुरू करने में मदद करती है। वह अभी 25 साल के हैं।


source : bhaskar news