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Thursday, 17 September 2015

तीन लाख रु. में आप बेच सकते है 1 रुपए का रेयर क्वाइन, ऑनलाइन लगती है बोली |


 भारत सहित दुनियाभर में कई सारे लोग रेयर क्वाइन और विशेष सिक्कों का कलेक्शन करते हैं। ये लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे ई-बे, ओएलएक्स, क्विकर आदि वेबसाइट पर बोली लगाकर इन सिक्कों को खरीदते हैं। क्वाइन कलेक्शन करने वाले यह लोग, ऐसे रेयर सिक्कों के लिए अच्छे-खासे पैसे अदा करते हैं। हाल ही में आंध्र प्रदेश में वर्ल्ड तेलुगु कॉन्फ्रेंस हुई, जिसके सामने एक व्यक्ति ने रेयर क्वाइन का स्टॉल लगाया। इस कारोबारी ने एक रुपए का खास सिक्का 3 लाख रुपए में बेचा था।

क्या थी सिक्के की खासियत
बी. चंद्रशेखर ने जो एक रुपए का सिक्का 3 लाख रुपए में बेचा था उसकी खासियत थी कि उसे 1973 में मुंबई मिंट में ढाला गया था। मुंबई मिंट भारत की सबसे पुरानी मिंट में से एक है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने किया था। उस वक्त भी मुंबई अंग्रेजों के आर्थिक पहलुओं के लिहाज से अच्छा क्षेत्र था। यहां के बने सिक्कों पर डायमंड शेप का डॉट बना होता है।

2 लाख रुपए में बेचा एक और सिक्का
बी चंद्रशेखर ने उसी दौरान 1 रुपए का एक और सिक्का 2 लाख रुपए में बेचा था। यह सिक्का 1985 का था, जिस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर छपी थी। इस सिक्के को कोलकाता मिंट में ढाला गया था। इसके अलावा, दो आने और 50 पैसे का सिक्का भी उन्होंने बेचा। जिसके लिए उन्हें 70 हजार और 60 हजार रुपए मिले।

तीन लाख रु. में बिका 1 रुपए का रेयर क्वाइन, ऑनलाइन लगती है बोली
हैदराबाद मिंट
हैदराबाद मिंट साल 1903 में हैदराबादी निजाम की सरकार ने स्थापित किया था। साल 1950 में भारत सरकार ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था।
टूटे डायमंड का चिह्न
सिक्के में अंकित तारीख के नीचे एक टूटा डायमंड नजर आता है। ये चिह्न हैदराबाद मिंट का चिह्न है। हैदराबाद मिंट की शुरुआत में स्टार मार्क का इस्तेमाल किया गया। बाद में इसे बदलकर डायमंड शेप में लाया गया और उनमें से कुछ सिक्के में टूटा डायमंड भी शामिल है।

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नोएडा मिंट
नोएडा मिंट को 1986 में स्थापित किया था और 1988 से यहां से स्टेनलेस स्टील के सिक्कों का निर्माण शुरू हुआ था।
नोएडा मिंट की खासियत
नोएडा मिंट के सिक्कों पर जहां ढलाई का वर्ष अंकित किया गया है उसके ठीक नीचे छोटा और ठोस डॉट होता है। इसे सबसे पहले 50 पैसे के सिक्के पर बनाया गया था। 1986 में इन सिक्कों पर ये मार्क अंकित किया जाना शुरू हुआ था।

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मुंबई मिंट की खासियत
यहां के बने सिक्कों पर डायमंड शेप का डॉट बना होता है। यह सिक्के पर ठीक निर्माण वर्ष के नीचे अंकित होता है। सिक्के में लिखी डेट के नीचे बना 'B' मार्क भी मुंबई मिंट का ही होता है। 1996 के बाद से ढाले गए कई सिक्को में 'M' का निशान बनकर आने लगा। ये सिक्का भी मुंबई मिंट का ही होता है।

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कलकत्ता मिंट
कलकत्ता मिंट की शुरुआत अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुई थी। साल 1859 में पहली बार इस टकसाल में सिक्के ढाला गया। हालांकि, उस समय का बना सिक्का अंग्रेजी हुकूमत अपने साथ ही ले गई थी।

कलकत्ता मिंट की खासियत
कलकत्ता मिंट के सिक्कों पर कोई मिंट मार्क नहीं होता। दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान से ही कलकत्ता मिंट में जो सिक्के बनते थे उन पर कोई मार्क नहीं था। जबकि मुंबई मिंट शुुरू होने के बाद उनमें मार्क का इस्तेमाल किया गया था। पहचान के लिए कलकत्ता मिंट के सिक्कों पर कोई मार्क नहीं दिया गया।

क्या करे ?

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कहां बेचे जा सकते हैं ऐसे सिक्के
अगर आपके पास ऐसे स्मारक सिक्के, पुराने या फिर रेयर सिक्के हैं तो आप उन्हें ऑनलाइन बेच सकते हैं। ईबे, ओएलएक्स और क्विकर जैसी वेबसाइट्स बोली के जरिए इन सिक्कों को बेचती हैं। यहां आप अपना लॉग इन आईडी बनाकर खुद को सेलर बना सकते हैं। सिक्के की कीमत उसकी खासियत के अनुसार तय की जा सकती है। जरूरी नहीं कि हर सिक्का लाखों रुपए में ही बिके।
लॉग इन करने के लिए साइट के होम पेज पर जाकर सेलर ऑप्शन पर जाएं और यहां अपने प्रोडेक्ट(जिसे आप बेचना चाहते हैं) की फाइलिंग करें। इसके बाद आपको यहां खुद रजिस्टर कराना होगा।

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