
नौकरी छूट जाने या बिजनेस में लॉस होने पर लोगों की फाइनेंशियल प्लानिंग बिगड़ने लगती है। और अगर आपने घर या कार लोन ले रखा है, तो टेंशन और भी बढ़ जाती है। ईएमआई चुकाने में भी आपको दिक्कत आने लगती है। ऐसी सिचुएशन में कुछ तरीके आपके काम आ सकते हैं, जो थोड़ा रिलीफ दे सकते हैं। yourpehchan आपको बता रहा है इन्हीं तरीकों के बारे में...
फाइनेंशियल एडवाइजर से कन्सल्ट करें
अगर आप होम लोन टाइम पर नहीं चुका पा रहे हैं, तो किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से कन्सल्ट कर सकते
हैं। मार्केट में आपको ऐसे कई एडवाइजर मिल सकते हैं। उन्हें अपनी सिचुएशन बताएं। देना बैंक ने तो ये सर्विस देने के लिए अलग से एक क्रेडिट कन्सल्ट विंग बना रखा है।
इन्वेस्ट किए गए पैसों से चुकाएं ईएमआई
ईएमआई टाइम पर देना बहुत जरूरी है। ईएमआई नहीं चुकाने पर आपके घर की नीलामी तक की नौबत आ
सकती है। नीलामी से बचने के लिए आप अपने इन्वेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आपने शेयर मार्केट,
एफडी, पीएफ, म्युचुअल फंड में निवेश किया है, तो वहां से पैसे निकाल कर ईएमआई चुका दें। आप प्री-पेमेंट
कर होम लोन की ईएमआई को कम कर सकते हैं।
लोन डिफॉल्टर होने पर क्या करता है बैंक
एक बार जब आप लोन डिफॉल्टर की कैटेगरी में आ जाते हैं, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को अपने कब्जे में लेने का
क्या होता है अगर ईएमआई टाइम पर न दें
अगर होम लोन लेने वाला व्यक्ति तीन ईएमआई समय पर नहीं चुकाता हैं, तो बैंक एक सिंपल नोटिस भेजता है। अगर आपने कोई जवाब नहीं दिया, तो बैंक इस बार एक लीगल नोटिस भेजता है। इसके बाद भी जवाब न देने पर बैंक लोन लेने वाले को डिफॉल्टर की कैटेगरी में डाल देता है। इसके बाद बैंक दो और नोटिस भेजता है। इनके भी जवाब न देने पर बैंक के पास अधिकार होता है कि वह प्रॉपर्टी नीलाम कर सकता है।
बैंक को बताएं सिचुएशन
नौकरी छूटने या बिजनेस में लॉस होने के कारण आपको होम लोन की ईएमआई चुकाने में समस्या आ रही है, तो इसके लिए बैंक से बात करें। ऐसी सिचुएशन में बैंक आपका ग्रेस पीरियड बढ़ा देंगे। बैंक को बताएं की आप किस वडह से ईएमआई नहीं चुका सकते। इस सिचुएशन में बैंक आप पर कुछ पेनल्टी लगाकर ईएमआई चुकाने के लिए ग्रेस पीरियड दे देंगे।
लोन री-फाइनेसिंग
कई बार बैंक जब ब्याज दर बढ़ा देते हैं, तो ईएमआई का बोझ बढ़ जाता है। अगर आपकी सैलरी कम है, तो आपको ईएमआई चुकाने में परेशानी हो सकती है। ऐसी सिचुएशन में बैंक से लोन पीरियड को रिस्ट्रक्चर या रीफाइनेंस करने को कहें। ऐसा करने पर बैंक आपके लोन पीरियड बढ़ा देंगे, जिससे आपकी ईएमआई घट जाएगी। हालांकि, ऐसा करने से आपको बैंक को ज्यादा पैसे भरने पड़ेंगे।...
कई बार बैंक जब ब्याज दर बढ़ा देते हैं, तो ईएमआई का बोझ बढ़ जाता है। अगर आपकी सैलरी कम है, तो आपको ईएमआई चुकाने में परेशानी हो सकती है। ऐसी सिचुएशन में बैंक से लोन पीरियड को रिस्ट्रक्चर या रीफाइनेंस करने को कहें। ऐसा करने पर बैंक आपके लोन पीरियड बढ़ा देंगे, जिससे आपकी ईएमआई घट जाएगी। हालांकि, ऐसा करने से आपको बैंक को ज्यादा पैसे भरने पड़ेंगे।...
फाइनेंशियल एडवाइजर से कन्सल्ट करें
अगर आप होम लोन टाइम पर नहीं चुका पा रहे हैं, तो किसी फाइनेंशियल एडवाइजर से कन्सल्ट कर सकते
हैं। मार्केट में आपको ऐसे कई एडवाइजर मिल सकते हैं। उन्हें अपनी सिचुएशन बताएं। देना बैंक ने तो ये सर्विस देने के लिए अलग से एक क्रेडिट कन्सल्ट विंग बना रखा है।
इन्वेस्ट किए गए पैसों से चुकाएं ईएमआई
ईएमआई टाइम पर देना बहुत जरूरी है। ईएमआई नहीं चुकाने पर आपके घर की नीलामी तक की नौबत आ
सकती है। नीलामी से बचने के लिए आप अपने इन्वेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आपने शेयर मार्केट,
एफडी, पीएफ, म्युचुअल फंड में निवेश किया है, तो वहां से पैसे निकाल कर ईएमआई चुका दें। आप प्री-पेमेंट
कर होम लोन की ईएमआई को कम कर सकते हैं।
लोन डिफॉल्टर होने पर क्या करता है बैंक
एक बार जब आप लोन डिफॉल्टर की कैटेगरी में आ जाते हैं, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को अपने कब्जे में लेने का
प्रोसेस शुरू कर देता है। बैंक आपकी प्रॉपर्टी को कब्जे में लेने के बाद लोन की रकम निकालने के लिए प्रॉपर्टी की नीलामी करता है। ऐसा होने पर न सिर्फ आपकी प्रॉपर्टी जाती है साथ ही आपका क्रेडिट स्कोर भी खराब हो
जाता है। इसके बाद भविष्य में किसी बैंक से लोन लेना आपके लिए मुश्किल हो जाता है।
yourpehchan
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